कुंभ मेले में नागा बाबाओं का स्वागत: भारत की एक अलौकिक परंपरा black blue
कुम्भ मेला, दुनिया का सबसे बड़ा और सबसे पवित्र धार्मिक मेला है। कुंभ मेले में हर कुछ वर्षों में, भारत के विभिन्न स्थानों पर लाखों लोग एक साथ होते हैं, नदी में पवित्र स्नान करने और आत्मिक मुक्ति प्राप्त करने के लिए। जबकि कुंभ मेला एक जीवंत धार्मिक उत्सव है, इस मेले में एक विशेष समूह की उपस्थिति सबसे अलग और खास है-—नागा बाबा। ये साधु अपनी जीवन शैली और आस्था के कारण महल के आदर्शों का हिस्सा हैं; उनका और स्वागत एक विशिष्ट और रोमांचक अनुभव होता है।
नागा बाबा कौन हैं?
नागा बाबा हिंदू संप्रदाय के ऐसे तपस्वी होते हैं जो अपने जीवन से पूर्ण रूप से त्याग और तपस्या के लिए समर्पण करते हैं। वे ‘अखाड़े’ नामक धार्मिक अनुष्ठानों का हिस्सा होते हैं, जिन्हें विशेष रूप से स्थापित किया जाता है और आस्थाओं का पालन किया जाता है। इन बाबाओं की पहचान उनके विशिष्ट रूप से होती है-अक्षरों पर चंदन या राख का लेपयुक्त स्थान होते हैं, और उनके सिर पर जटाएं होती हैं। उनका जीवन पूरी तरह से भगवान शिव की भक्ति और साधना में समर्पित है।
कुम्भ मेले में नागा बाबाओं की भूमिका
कुंभ मेले में नागा बाबाओं की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। वे केवल लुप्तप्राय नहीं होते, बल्कि वे स्वर्ग और दिव्यता के प्रतीक होते हैं। उनकी उपस्थिति एक ऐसे धार्मिक उत्सव का हिस्सा है, जो भारत की प्राचीन साधना और पूजा पद्धतियों को जीवित रखता है। कुंभ मेले में उनका आगमन एक विशेष अवसर होता है, जो सैकड़ों संतों की आस्था और विश्वास को